What is Digital Arrest:
Digital Arrest के कारण लोग वीडियो और ऑडियो कॉल्स के माध्यम से डराए जा रहे हैं और उनसे बड़ी रकम वसूली जा रही है। इसमें खासकर मासूम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। ऑनलाइन धोखाधड़ी के चलते रोजाना करोड़ों रुपये की ठगी हो रही है, जिससे साइबर क्राइम विशेषज्ञ लगातार लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। इन धोखेबाजों ने Digital Arrest का नया तरीका अपनाया है, जिसमें ये खुद को अधिकारी बताकर भोले-भाले लोगों को फंसाते हैं और फिर उन्हें डराकर लाखों रुपये वसूलते हैं।
इस पर पीएम मोदी ने भी चिंता जताई है और लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। हाल ही में देश के साइबर क्राइम रिकॉर्ड से पता चला है कि इस साल के पहले कुछ महीनों में ही भारतीयों को Digital Arrest की धोखाधड़ी से 120.30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार, Digital Arrest के माध्यम से धोखाधड़ी में काफी वृद्धि हुई है। इस अपराध को करने वाले अधिकतर अपराधी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, जैसे म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में रहते हैं।
46 प्रतिशत तक बढे Digital Arrest के मामले
जनवरी से अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने बताया कि Digital Arrest के तहत साइबर धोखाधड़ी के 46% मामले सामने आए हैं। इनसे 1,776 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें अधिकांश मामले म्यांमार, लाओस और कंबोडिया से जुड़े थे। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के अनुसार, इस साल 1 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच 7.4 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि 2023 में कुल 15.56 लाख शिकायतें आईं।
2022 में यह संख्या 9.66 लाख थी। आई4सी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार ने मई में जनवरी से अप्रैल के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि भारतीयों ने Digital Arrest में 120.30 करोड़ रुपये, ट्रेडिंग घोटाले में 1,420.48 करोड़ रुपये, निवेश घोटाले में 222.58 करोड़ रुपये और रोमांस/डेटिंग घोटाले में 13.23 करोड़ रुपये खोए।
Digital Arrest क्या हैं ?
Digital Arrest में संभावित पीड़ितों को एक फोन कॉल आती है, जिसमें कॉल करने वाला उन्हें बताता है कि उन्होंने अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं वाला पार्सल भेजा है या वे इसके प्राप्तकर्ता हैं। कुछ मामलों में, टारगेट के परिवार के सदस्यों या दोस्तों को यह बताया जाता है कि टारगेट किसी अपराध में शामिल पाया गया है।
जब अपराधी टारगेट को अपने जाल में फंसा लेते हैं, तो वे स्काइप या किसी अन्य वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म पर उनसे संपर्क करते हैं। वे अक्सर ईडी अधिकारी बनकर, पुलिस की वर्दी पहनकर या पुलिस स्टेशन जैसे बैकग्राउंड के साथ कॉल करते हैं। इसके बाद, पीड़ितों को बहुत डराया जाता है, और फिर पैसे की मांग की जाती है ताकि मामला सुलझ सके। कुछ मामलों में, पीड़ितों को डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया जाता है, और जब तक वे पैसे नहीं देते, तब तक उन्हें डराया जाता है।
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PM MODI ने किया सावधान
Digital Arrest के बढ़ते मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में चर्चा की। उन्होंने 140 करोड़ देशवासियों को इस समस्या के प्रति जागरूक करते हुए धोखाधड़ी करने वालों के तरीकों को समझाया।
Digital Arrest: कैसे बचें?
यह तब होता है जब किसी का सिम कार्ड या बैंक खाता गलत तरीके से खोला जाता है। ठगी का शिकार होने वाले लोगों के पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य डेटा को अवैध तरीके से इकट्ठा किया जाता है। फिर उनके खातों से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। कई बार क्रिप्टो या गेमिंग एप के जरिए पैसे को हवाला से बाहर भेजा जाता है। इसलिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती है।
सरकारी एजेंसियां केवल व्यक्तिगत रूप से पूछताछ करती हैं। यदि किसी के साथ ऐसा कुछ होता है, तो वह दो तरीकों से इसकी रिपोर्ट कर सकता है। साइबर फ्रॉड के हेल्पलाइन नंबर या ईमेल के माध्यम से शिकायत की जा सकती है। इसके अलावा, आप स्थानीय पुलिस को भी अपनी शिकायत दे सकते हैं।
FAQs
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डिजिटल गिरफ्तारी का क्या मतलब है?
Digital Arrest एक धोखाधड़ी की तकनीक है, जिसका उपयोग साइबर अपराधी करते हैं। ये लोग झूठा दावा करते हैं कि उनके पास किसी व्यक्ति को डिजिटल तरीके से गिरफ्तार करने का अधिकार है, अक्सर फोन या ऑनलाइन संचार के माध्यम से।
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डिजिटल गिरफ्तारी क्या है यूपीएससी में?
डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी में, ठग कानून प्रवर्तन अधिकारियों का रूप धारण करके अपने शिकारों को धोखा देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस धोखाधड़ी के बारे में जनता को चेतावनी दी है और कहा है कि ऐसे किसी भी मामले की सूचना साइबर हेल्पलाइन पर दें।
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डिजिटल गिरफ्तारी का मतलब क्या है?
डिजिटल गिरफ्तारी एक धोखाधड़ी की तकनीक है, जिसका उपयोग साइबर अपराधी करते हैं। ये अक्सर फोन या ऑनलाइन बातचीत के जरिए किसी को गिरफ्तार करने का झूठा दावा करते हैं।
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डिजिटल अपराध क्या है?
डिजिटल अपराध एक ऐसा अपराध है जो कंप्यूटर डेटा और उससे जुड़े डिजिटल सिस्टम पर होता है। इसमें बिना अनुमति के डेटा तक पहुंचना, चोरी करना, डेटा में बदलाव करना, डेटा को नुकसान पहुंचाना या सिस्टम को बाधित करना शामिल है। डिजिटल अपराध चार श्रेणियों में बांटे जा सकते हैं: धोखाधड़ी और पहचान की चोरी, सूचना युद्ध, फिशिंग स्कैम और स्पैम।
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डिजिटल गिरफ्तारी से कैसे बचें?
व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा करें: संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें जो दुरुपयोग की जा सके। पैसे न भेजें: कानून प्रवर्तन एजेंसियां चार्ज खत्म करने के लिए पैसे नहीं मांगतीं।